हम चल रहे कहाँ है
हम तो केवल हिल रहे है
अगर सही में चले होते तो
कहीं पहुँचते
कुछ खास करते
कुछ परिवर्तन लाते
हम तो केवल और केवल
हिल रहे है
सोता, उठता, जागता, भागता
दिखता तो है हर इंसान
खुद के खाने की चिंता से है सभी परेशान
अगर हर कोई ऐसा होता
तो आजादी जो आज हम मना रहे है
वो मनाते इतने बेफिक्र होकर घ्
जीवन का मजा लेते है नशे मे चूर होकर
इसलिए तो कह रही हूँ
हम चल नही रहे
केवल हिल रहे है
यह जीवन सिर्फ जीवन नही
यह जीवन एक मौका है
कुछ करने के लिए
सोचेएचिंतन करे और आगे बढ़े
-रजनी शाह
हिन्दी विभाग
जैन कालेज, आरआर नगर