कोई लौटा दे मेरा वो बीते दिन वो बचपन की यादें
कागज के नाव मिट्टी के घरौदें सच्ची की कसमे वादे
स्कूल जाने से पहले माँ से रोज गाय छाप दस्सी लेना
सीना तानकर दोस्तों के साथ बरफ झालमुड़ी खाना
मां की आंचल कभी उंगली पकड़ घूमना हाट बाजार
मेरी पसंद की सारी फरमाइश पूरी करती मां बाहें पसार
जब जब पिताजी के साथ चला ईट से बनी वे सड़कों पे
तब तब ठेस लगती पैर के अंगूठा रक्त बहती सड़कों पे
डांटते हुए कहते चलना सीखो पर उठाकर चलो हमेशा
जब भी जीवन में गिरता हूं ये नसीहत याद आती सदा
लड़की के पीछे चलना कटी हुई पतंग के पीछे भागना
गलतियों पे पिताजी डंडा लेकर दौड़ना मेराम भागना
छठ के पर्व पर चारों भाइयों के एक जैसा पैंट कमीज
लड़ना झगड़ना रूठ जाना बचपन के ये हसीन तमीज
-मनोज शाह मानस
सुदर्शन पार्क, मोती नगर,
नई दिल्ली