फिर माँ भारती के 17 सपूत,
आँखों से ओझिल हो गए
भारत माता के पावन आंचल पर,
श्रृद्धा से शहिद हो गए
दिलों में स्नेह के माला पिरोकर,
चिर निद्रा में सो गए
मां के आंखों में आंसू देकर,
अजर अमर वो हो गए
घर आंगन को करके अलविदा,
नील गगन में खो गए
मेरे भारत के 17 सपूत,
माँ के आंचल में सो गए
-जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़