मासूमियत उनकी जरा सी देखिये,
बिना बोले ही दिल में घर कर लिया
मुलाकात तो हुई न एक बार कभी,
फिर भी हमने उनको हमसफ़र कर लिया
जान से जायेंगे हम एक रोज सनम,
ऐसे बेदर्द के दर्द ला सफर कर लिया
माना कि है बड़े खूबसूरत नज़र
हमने भी नज़र ही नज़र सब्र कर लिया
इल्ज़ाम होगा मेरी क़त्ल का उनके सर
ऐसे कातिल बेवफ़ा को सनम कर लिया
-मनोज कुमार