दोऊ जन्मे साथ में,
हुई दोस्ती भारी
कदरी-बदरी के भेद को,
जाने हम सब भाई
कांटे बिहीन बदरी जमी,
पर कदरी कोमल होय,
साथ बदरी जब बाढी,
रंग दिया दिखाई
कदरी सोचे पीतिमा
साथ जन्म का होय
बदरी के स्वभाव को,
ना जाने कदली कोई
चलें झरोखे पवन के,
निज हित में डोले,
बदरी ले अंगडाई,
धोखो कदरी खाई
मैत्री प्यारे देख के कीजै,
जब तेरा प्यार पसीजै,
नहीं तो रोवै भाई,
जग में होय हंसाई
अंग कदरी के फाटैं,
बदरी मस्ती मे नाचै,
सबसे कहता भाई,
क्यू ऐसी प्रीत लगाई
-वीरेंदे तोमर