मुझसे पहले पढ़ना मेरी कविताएं
मुझसे पहले जानना मेरे शब्द
मुझसे पहले समझना मेरे भाव
मेरा आईना हैं मेरी कविताएं
जो मैं न कह सकूं न बोल पाउँ
उनको पढ़कर जानना
जो दर्द छिपा है दिल में
एक बार उसे पहचानना
शब्दों की जो ठेस लगी पड़ीं दरारें मन पर
अनदेखी सी दरारों से भर गया मेरा अंतर्मन
मुखरित स्वभाव सिमट गया मौन के गहरे आवरण में
वाचालता बंधती गयी चुप्पी के बन्धनों में
घिरते गए निराशा के अंधेरे बादल
उस तम में मेरा अपना वजूद हर दिन मिट रहा
धीरे धीरे, चुपचाप
सहसा एक नन्ही सी आशा की किरण
गहरे अंधेरे को चीरती हुई
आकर पास मेरे
मुझ पर स्नेह बरसाती हुई
थाम कर कांपते हाथों को
थमाया लेखनी और कहा
भाव होते हैं धवल स्निग्ध मोती
आसूं के साथ बहकर ये हो जाते हैं व्यर्थ
शब्दों के मोती, भावों की चमक
थोड़ा सा मन का स्नेह मिला
पिरो कर माला में
मैं इस काव्य धरा पर आई
मुझसे पहले पढ़ना मेरी कविताएं
मुझसे पहले जानना मेरे शब्द
तब तानों के तीर चलना
मेरे कोमल हृदय पर
-संगीता पाण्डेय
असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी
होलीक्रास वीमेंस कॉलेज
अम्बिकापुर, सरगुजा, छत्तीसगढ़