तुम्हारी याद-
चमकीले धागों से सजी
एक सुहानी सबह की
लाल-गुलाबी झील;
मूंगे के रंग में ख़ुद को
डुबो देना चाहती हूँ!
तुम्हारी याद-
एक शांत स्याह रात का
धुंधला नीला ताल;
ठहरे पानी में तैर कर
अजीब-सा महसूस
करना चाहती हूँ!
तुम्हारी याद-
मेरे दिल के दरख़्तों पर
भुक् भुुक् करते जुगनू;
हरी सफेद जगमगाहट को
अपलक निहारती हूँ!
तुम्हारी याद-
सांझ के सूरज की
डूबती सी रोशनी;
चाहत की दम तोड़ती
चिनगारियों को देखती हूँ!
तुम्हारी याद-
एक दर्द भरे लम्हे का
रूआंसा एहसास;
हाथों में मुरझाए फूल
और सूखे पत्ते ले
आँसुओं को पी जाती हूँ!
-डाॅ रंजना शरण सिन्हा
द्विभाशी कवि, लेखक एवं साहित्यिक आलोचक डाॅ रंजना शरण सिन्हा अंग्रेज़ी की पूर्व प्राध्यापक हैं इनकी अंग्रेज़ी की रचनाएं राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। इनके काव्य संकलन ‘‘स्प्रिंग ज़ोन’’ की ‘मदर नेचर’ नामक कविता भारत के राश्ट्रपति अब्दुल कलाम द्वारा प्रशंषित हुई है। साहित्यीक योगदान के लिए इन्हें अनके पुरस्कारों से विभूषित किया गया है। अनेक विधाओं में 7 पुस्तकें एवं 50 षोध पत्र प्रकाशित। आरटीएम नागपूर विद्यापीठ की षोध मार्गदर्षिका (अंग्रज़ी) हिंदी में भी लेखन कार्य।