कैसा ये वीरान चमन,
सुनी गालियां, सुनी राहें,
सुनी राहें, सुनें उपवन
सुनी हो गयी वसुंधरा,
कोलाहल सब गायब क्यूँ,
थम सा गया मानव जीवन
जीव-जन्तु हैं विस्मय में,
मठ, मंदिर भी सूने हैं
कर रहे परस्पर चिंतन
चिंता से सब आतुर हैं,
कैसे हुआ है ये अचरज,
दादुर बैठे तक्षक के फन
खेतों में है पकी फसल,
किसान खेत से गायब क्यूं
ना देखा ऐसा एकाकी न
गुंजा करती थी शहनाई,
आवाजों से थर्राते थे,
सुना कैसे हुआ गगन
पता लगाते पशु-पक्षी
क्या चीन हुआ है नरभक्षी,
विषाणु छोडा क्या साजिशन
-वीरेन्द्र तोमर