सोचता हूँ- सुधेश

सोचता हूँ
आज यह करूं वह करूं
लेकिन करने को इतना है
सोचता रहा पहले क्या करूं
सोचते सोचते नींद ने घेरा
फिर ख्वाब में कोई बोला
आज दिन भर क्या किया
जागा तो पता चला
पूछने वाला वक्त था
जो हाथ नहीं आता
उस का सिर गंजा है
उसे पकड़ना हो तो
सामने से पकड़ो
अर्थात जो समय मिला
उस में मन की करो
बाद में पछताना ही बचेगा

-सुधेश
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