डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
आत्मविश्वास की नाव पर, सवार है मन मेरा,
हर मुश्किल को पार करूं, यही है प्रण मेरा।
लहरें चाहे ऊँची उठें, आँधियाँ भी चलें चाहे,
मेरा हौसला कभी ना टूटे, हालात भी बदलें चाहे।
नाव की पतवार बनकर, खुद पर ही यकीन रखूं,
हर डर को हराकर, आगे बढ़ने का ही हौसला रखूं।
संघर्ष की धारा हो या हो बाधाओं का दीवार,
आत्मविश्वास के बल पर, जीतूंगी हर बार।
कभी ना होऊं निराश, ये ही है मेरी शक्ति,
मन की गहराइयों में, बसती है जीत की भक्ति।
आत्मविश्वास की नाव पर चलूं हर कदम,
सपनों के सागर में खोजूं अपनी मंजिल परम।
आंधियों से टकराकर, किनारे तक जाऊंगी,
आत्मविश्वास की इस नाव से जीत मैं पाऊंगी।
जीवन के इस सफर में बस एक ही है आस,
साथ रहे सदा मेरे, मेरा आत्मविश्वास।