दर्द खामोश है लेकिन, है जख्मों में ताब तो
हम उदास रहें बेशक, पर खुश हैं जनाब तो
नहीं, मसला नहीं है कोई बस दर्द है जरा सा
हमारी आँखों से बिछड़ कर रोयेंगे ख्वाब तो

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ये अना भी जब रिश्तों के दरमियान आ तन जाती है
बस नफ़रत ही तो बचती है, चाहत तो छन जाती है
ज्यादा पानी भी पौधों की जड़ों को ढीली कर जाता है
मुहब्बत भी हद से ज्यादा हो तो जहर बन जाती है

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तुम्हारी यादें ही मेरी जागीर है
तू ही मेरे जीने की तदबीर है
तुमको ही लिखा है हर सांस में
हर ग़ज़ल में तुम्हारी ही तस्वीर है

रूची शाही
बिहार