डॉ निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
लाल बहादुर, भगत सिंह, सुभाष का ये बलिदान,
मंगल पांडे की गर्जना, बन गई थी देश की शान।
सरदार वल्लभ भाई का साहस, चंद्रशेखर की हुंकार,
खुदीराम बोस की कुर्बानी, अमर है इस भूमि पर यार।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, जिन्होंने तलवार उठाई,
अपनी जान न्योछावर करके, आजादी की लौ जलाई।
गांधी, नेहरू, पटेल के संग, खुद को कर दिया देश के नाम,
सावरकर, राजगुरु, सुखदेव ने, रखा स्वतंत्रता का ये मान।
कुर्बानी के इन सितारों ने, सजाया था ये आकाश,
आजादी की राह में कर दिया, अपना तन-मन और विश्वास।
इन शहीदों की गाथाएं, हमारे दिलों में बसी रहेगी,
स्वाधीनता के पर्व की राहें, स्मृतियों में सजी रहेगी।
हम सब मिलकर करें आज प्रण, इन सपनों को साकार करेंगे,
भारत माता की सेवा में, अपना जीवन अर्पण करेंगे।
शहीदों के इस देश में, चलो नया इतिहास लिखें,
हर नागरिक स्वाधीन बने और शांति की बगिया सजे।