चित्रा पंवार
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पुरानी आदत
जुदा वो होते हैं
जो किसी समझौते के तहत
मिलते हैं
जिनके मिलने की बुनियाद
दुनियावी अनुबंध होते हैं
वे नहीं
जो एक मौन साधे
कोई वादा
कोई उम्मीद किए बिना
बस किसी पुरानी आदत की तरह
हाथ थामे साथ चल रहे हो…
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दूरी
ठीक जिस वक्त
तुम्हारे भीतर बहता है आंसुओं का समंदर
एक बवंडर से घिरी रहती है तुम्हारी रूह
ठीक उसी समय
मेरे हालचाल पूछने पर
जब तुम मुस्कुरा कर
‘ठीक हूं मैं’
कहती हो
मैं समझ जाता हूं
अभी तुम तक पहुंचने से
हजारों बरस दूर हूं मैं…!
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कीमत
जो शख़्स सांस लेने की तरह
हमारी आदत में शुमार हो जाता है
जिसका होना हमारे होने में
इतना रच बस जाता है
कि हम भूलने लगते हैं
उसका होना
अंततः एक दिन
जब वो साथ नहीं होता
उसके साथ न होने से
हम मर जाते हैं…!
उस दिन पता चलती है
हमें उसके होने की कीमत…
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मियाद
हर बेबसी की एक उम्र है
हर दुःख की हद होती है
हर इंतज़ार की अपनी मियाद है
मगर आदमी की जिन्दगी का
कोई भरोसा नहीं
वो बेबसी, दुःख, इंतज़ार से पहले ख़त्म हो
या बाद में…!