Sunday, October 13, 2024

मैंने उस ईश्वर को छुआ: चित्रा पंवार

चित्रा पंवार

तुम जब गले लगती हो
मैं ईद मना लेता हूं
तुम्हारी आंखों में जगमगाता प्रेमदीप देखता हूं
तो मेरी अमावस सी जिन्दगी दिवाली में बदल जाती है
तुम खिलखिलाती हो तो
भरोसा करने का जी चाहता है
कि दुआएँ सच में कबूल होती हैं
तुम्हें पाने के बाद मुझे लगा
दुनिया में चमत्कार भी होते हैं
मैं तुम्हारे घर के सामने से गुजरते हुए
झुकता हूं ठीक वैसे ही
जैसे मंदिर, मस्जिद, पीर फ़कीर के
दर के सामने कोई झुकता है श्रद्धावश
तुम्हारे हाथों को चूमते समय
मैंने उस ईश्वर को छुआ
तुम्हें देखते हुए उसे ही देखा
तुमसे मिलने पर मैंने जाना
कोई अल्लाह या राम जो भी कह कर पुकारे
सब प्रेम के ही अलग-अलग नाम हैं
तुम्हें चाहना
उस खुदा, उस ईश्वर को चाहना था मेरे लिए…
उस तक पहुंचने के सभी रास्ते
मुझे तुम तक लेकर जाते हैं…

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