अमृता है प्रेम: चित्रा पंवार

चित्रा पंवार

प्रेम को आलिंगन की कैद में रखने से बेहतर है होठों की नर्म दस्तक दे कर मुक्त कर देना..!

जैसे मिट्टी, बीज को चूम कर आजाद कर देती है मगर बीज, विशाल वृक्ष बनकर भी नेह की जड़ों से मिट्टी का हाथ थामे रखता है।

पहाड़ नदी का माथा चूमकर उसे जाने देता है उसके समंदर के पास.. मगर पहाड़ को कहां छोड़ पाती है नदी भी..!

आसमान में उड़ते, हवा में गोते लगाते पंछियों को भी सांझ ढले नीड़ ही याद आता है..!

पिता कन्यादान कर मुक्त कर देते हैं बेटियों को मायके की तमाम जिम्मेदारियों से , मगर वे भी कहां रोक पाते हैं बेटियों का मायके में किसी के कान गरम होने की छोटी से छोटी खबर के साथ ही दौड़े चले आना…

सच कहा है किसी ने प्रेम पर किसी का जोर नहीं, खुद करने वालों का भी नहीं..!

बड़े–बड़ों का गुरुर मिट्टी में मिलाया है इसने… वहीं दूसरी ओर जिन्होंने इसे सच्ची आत्मा से निभाया उन्हें इसने खुदा बनाने से भी गुरेज नहीं किया.!

अमृता है प्रेम… मिटाने पर भी पुनः पुनः उग आता है..!

पृथ्वी का दुलारा शिशु है प्रेम… उसकी जान के दुश्मन जब जड़–मूल सहित प्रेम का नाम–ओ–निशान मिटाने निकलते हैं धरा चुपके से उसे अपने गर्भ में धारण कर लेती है…!

प्रेम बड़ा जिद्दी है जहां जाने से रोका जाता है वहां जरूर जाता है जहां बांध कर रक्खा जाएं वहां किसी सूरत नहीं ठहरता… जो लोग कसमें खाते हैं हमें सच में प्यार हो गया है उन्हें बिल्कुल नहीं होता। जो कहते हैं हमें हो ही नहीं सकता, हम करेगें ही नहीं, देख लेना! उन्हें जरूर होता है।

अपने मन का राजा, संप्रभु, सर्वशक्तिमान प्रेम की कोई परिभाषा नहीं, कोई रूप रंग, आकार नहीं, यह तो बस दो प्रेम करने वालों की आत्माओं पर हुआ चुम्बन है जिसे या तो करने वाला महसूस कर सकता है या फिर जिसको किया जाए.. तीसरा कोई नहीं जानता,,तीसरे से पूछना भी नहीं, , तीसरे को बताना भी नहीं,, वह बेचारा इस दर्द का सुख बताएगा ही कैसे ,जिसे यह दर्द हुआ ही नहीं..!

प्रेम देखने वालों के लिए नारियल के बाहरी आवरण सा खुरदुरा और कठोर हो सकता है परन्तु प्रेम करने वाले जानते हैं नारियल की भीतरी मिठास, गुण और उज्जवलता के बारे में..!

जितने दिलों में प्रेम है इसके उतने ही रूप हैं, उतने ही अहसास हैं, उतनी ही अलग-अलग कहानियां हैं, प्रेम स्वच्छ जल की भांति जिस रंग में उतरता है उसी का हो कर रह जाता है, जिस प्रकार स्वच्छ जल का स्पर्श मात्र ही देह को निर्मल कर देता है उसी तरह स्वच्छ प्रेम हृदय की सारी मलीनता को दूर कर देता है, जिस हृदय में प्रेम का निवास है इस संसार में उस हृदय से पवित्र कुछ भी नहीं..!

प्रेम को मैला करने वाले कृप्या अपने विचारों के दूषित माहौल की छाया से इसका नाम ख़राब न करें..! समाज तुम जैसों के एक ग़लत उदाहरण की रस्सी पकड़ कर न जानें कितने ही मासूम प्रेमियों की गर्दन घोट देता है..!

सच्चे प्रेमी बापू के सत्याग्रह आंदोलन के जन्मदाता कहे जा सकते हैं क्योंकि जहां सच्चा प्रेम है वहां ठहराव है, अपने निर्णय के प्रति हठधर्मिता तो है मगर उतावलेपन का आवेग नहीं है, प्रतीक्षा है , सब्र है, साथ चलने की, मंज़िल तक पहुंचने की जिद तो है मगर किसी को पीछे धकेल कर आगे बढ़ने की हड़बड़ी नहीं है, अपने प्रेम के सत्य के भरोसे निर्णय अपने पक्ष में करने का सन्तोष है।

बहरहाल सभी को प्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं-

पृथ्वी पर बचा रहे प्रेम और ज्ञान
ये दोनों मिलकर बचा लेंगे धरा को

चूमना बुरा नहीं है
प्रेम करना बुरा नहीं है
यह दुनिया प्रेम से और
प्रेम के लिए ही बनी है

अच्छी तथा खूबसूरत बातों को
इसलिए बुरा कहा गया
ताकि बुरी चीज़ों को
कहा जा सके अच्छा
यह एक षड्यंत्र है
और कुछ भी नहीं

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