सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश
15 अगस्त के उपलक्ष्य पर नेता जी ध्वजारोहण के लिए जा रहें हैं। नेताजी की आलीशान कार सिग्नल पर रुकती है, तभी वहाँ एक नन्हा सा लड़का कई सारे झंडे लेकर नेता जी की गाड़ी की तरफ आता है। गाड़ी के शीशे पर खटखटा कर झंडा खरीदने का आग्रह करता है।
नेता जी ने पहले भी इस लड़के को देखा है। जब भी उनकी कार सिग्नल पर रुकती है ये बच्चा आकर कभी पेपर, कभी रुमाल, कभी फूल-गुलदस्ते आदि बेचने नेता जी के पास आ जाता है। रोज़ तो नेता जी इसे नजरअंदाज कर देते हैं पर आज उनसे नहीं रहा गया।
उन्होंने अपनी कार का शीशा नीचे किया। बच्चे को लगा शायद आज वो झंडा खरीद लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नेता जी ने झंडा तो नही खरीदा लेकिन झुँझलाते हुए उस बच्चे से पूछा, “कभी झंडे, कभी पेपर, कभी रुमाल, क्या नही बेचते तुम?”
उस बच्चे ने उत्तर दिया, ” देश…!”
तभी सिग्नल हरा हो गया और वह बच्चा दौड़कर फुटपाथ पर जाकर झंडे बेचने लगा।