डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
दो महान विभूतियां आईं,
जन्म लिया एक ही दिवस।
गांधी-शास्त्री के जीवन में,
सत्य-अहिंसा का संदेश।
महात्मा थे बापू हमारे,
अहिंसा का पाठ पढ़ाते थे।
शांति, प्रेम और सत्य की ज्योति,
हर दिल में वो जलाते थे।
छोटी कद काठी के शास्त्री,
उनके साहस की थी बात बड़ी।
जय जवान, जय किसान का नारा,
आवाज थी गूंजी गली-गली।
गांधी चले अहिंसा मार्ग पर
अंग्रेजों से वो टकराए थे।
बिन हथियार ही जंग लड़ी,
सत्याग्रह के दीप जलाए थे।
शास्त्री ने हमको समझाया,
स्वाभिमान की शक्ति महान।
कड़े समय में अडिग रहे वे,
देशभक्ति की थी एक मिसाल।
एक ने चरखे से सिखाई मेहनत,
दूजे ने हल से दिखाया मान।
कभी सत्य की राह न छोड़ी,
दोनों ही देश के थे अभिमान।
गांधी जी का सपना यही था,
हर गांव में खुशहाली आए।
शास्त्री जी ने खेतों में जाकर,
अन्नदाताओं के मान बढ़ाए।
दोनों ने माटी को सींचा,
अपनी मेहनत और खून से।
संघर्षों की राह पर चलकर,
रच दिया इतिहास जुनून से।
दोनों की राहें अलग थीं,
पर उद्देश्य था एक महान।
देश को ऊंचाइयों तक ले जाना,
हर दिल में जगाया सम्मान।
आओ मिलकर नमन करें हम,
इन दो महान विभूतियों को।
गांधी-शास्त्री के आदर्शों से,
फिर से रचें नए सपनों को।
उनके जीवन से जो सीखा हमने,
वो सच्चाई, वो बलिदान।
उनके सपनों का भारत बनाकर,
हम दें उन्हें सच्ची पहचान।