पता नहीं कोई कैसे
जिंदगी में
बहुत ख़ास हो जाता है?
मीलों दूर होकर भी
दिल के इतने पास
हो जाता है
अगर बात न हो उससे
तो न जाने क्यों?
दिल तन्हा उदास हो जाता है
उसका बोला हुआ
एक-एक शब्द
न जाने कैसे?
जिंदगी का अमर विश्वास हो जाता है
सोच समझकर किसी को
अपना बनाया नहीं जाता
कोई अच्छा लगे
बस यह अनायास हो जाता है
जान ही नहीं पाते हम
कब कोई इंसान से
जिंदगी की जरूरी साँस हो जाता है
-जसवीर त्यागी