डॉ. निशा अग्रवाल की कविता- कद्र करो जीते जी, ये जीवन है अनमोल

डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान

कद्र करो जीते जी, ये जीवन है अनमोल,
मरने के बाद तो लोग, बस कहानियां बनाते हैं गोल-गोल।

जब तक हो सांसें, तब तक प्यार लुटाओ,
रिश्तों की बगिया को, स्नेह से सींचते जाओ।

मरने के बाद तो लोग, बस फूल चढ़ाते हैं,
यादों में खोकर, आंसू ही बहाते हैं।

जीते जी ही, सम्मान के हक़दार बनो,
अपनों के दिलों में, जगह खास बना के चलो।

मरने के बाद तो लोग, सिर्फ बात बनाने आते हैं,
जो रह गया अधूरा, बस उसकी व्यथा सुना जाते हैं।

इस जीवन को जीओ, मुस्कराहट अपनी बिखेरो,
हर पल में खुशी का, आनंद से अमृत पियो।

मरने के बाद तो लोग, सिर्फ तस्वीरें ही लगाते हैं,
परछाई बनाकर, खुद को बस तसल्ली ही दिलाते हैं।

कद्र करो सबकी , इस अनमोल जीवन की,
हर लम्हा अनमोल है, इसे व्यर्थ मत जाने दो।

जीते जी ही रिश्तों को, सजीव तुम बनाओ,
जीते जी अपनों को मत, अपने से दूर भगाओ।

धन, दौलत सब रह जायेगी, तिनका भी साथ ना जाना,
मन में कटुता, ईर्ष्या रखे जो, कभी भी याद ना आना।