अपने गमों में खुशी ढूंढ़ लो
हर जख्म में इक हँसी ढूंढ़ लो
नेमत समझ शौक से लो उसे
गर है कमी तो कमी ढूंढ़ लो
खुशबू रहे चार दिन चमन में
गुल की तरन्नुम वही ढूंढ़ लो
है जहर भी अगरचे यह जहां
फिर मौत में जिन्दगी ढूंढ़ लो
दे रोशनी इस जहां को जरा
जो जल सके वो रवी ढूंढ़ लो
-रवि प्रकाश
जबलपुर