प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर- 231001
मेरी कविता की डायरी में
लगातार वर्षों ढूंढने के बाद
यदि वह ‘प्यार’ शब्द पा जाएगा
तो क्रोध से भर
चीखे- चिल्लायेगा
उसका स्त्रोत जानने का करेगा प्रयास
मैं कितनी भी उसके प्रेम की
दुहाई दूंगी
वह बहकेगा नहीं
जानता है कि वह प्रेम नहीं है
उसका दिया
इतने वर्षों में शायद
पहली बार वह सही है
मुझे बताना चाहिए,
उस वस्तु के विषय में
जो मेरे पास है
पर उसने कभी
दी ही नहीं है