प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर-231001
सच बताओ!
क्या तुम्हें कभी याद आती है?
वह कच्चे- नारियल सी दूधिया- हँसी की
उजास बिखेरने वाली लड़की
जिसके कम -लंबे- बालों की घनी छाँव में
बैठने की कल्पना कर
उसे चिढ़ाते थे तुम इतना कि
हँसते-हँसते आँसुओं से
भर जाए आँखें उसकी
या जिसकी ऑंसू भरी आँखें तुम्हें
देखते ही खिल उठती थी,
जिसे भरमाए रहते थे प्यार व्यार
जैसा कुछ कहकर तुम
और जानते हुए भी
कि झूठे हो तुम, तुम्हारे हर झूठ पर
आश्चर्य करती थी जो
जिसे देख, तुम्हारी आँखों में
अनोखी चमक आ जाती थी
और बड़ी मासूम लगती थी जिसे
तुम्हारी वह चमक
जो सिर्फ तुम्हारी डाँट के लिए
करती थी गलतियाँ
और कर बैठी तुमसे जुड़ने की
अक्षम्य गलती
सच बताओ !
कभी याद आती है तुम्हें
वह दुबली सी लड़की
उस क्षण कैसे लगते हो
ख़ुद की नज़र में तुम