प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर-231001
एक ऐसे समय में
जब सब करते हैं बड़े-बड़े दावे
प्रेम के और सबसे झूठे दावे
करने वाला माना जाता है
सबसे सच्चा प्रेमी
मैंने कई बार टोका, जताया
तुम्हें
मैं प्यार-व्यार नहीं करती
तुम्हें सच तो यह है कि मैं एक ज़िद्दी
घमंडी लड़की हूँ
जो किसी को कभी
प्यार नहीं कर सकती
या पड़ना ही नहीं है मुझे
इन सब चक्कर में
क्या मूर्ख हूं मैं जो कर बैठूं प्यार
यही या ऐसा ही कुछ कह कर
हँसी थी मैं एक फीकी हँसी
देखा तुम्हारी तरफ और जाने क्यों
आँखें झुका कर दाएं-बाएं देखने लगी
बाख़ुदा वह केवल तुम्हारा भ्रम
तोड़ने के लिए था
चलते रहे साथ हम
बीच-बीच में टोकती रही मैं
प्यार नहीं करती तुम्हें मैं
जानता हूं कहा तुमने
तो दिल बैठ सा क्यों गया मेरा
अभी तक किसे चेताती रही थी
तुम्हारे बहाने मैं
गीत की टेक की तरह गाते गाते
उल्टा अर्थ देने लगते हैं
क्या शब्द?