हिचकियाँ आयीं तो: रूची शाही

हिचकियाँ आयीं तो दिल को लगा
तुमने क्यों याद किया होगा मुझे

ना मैं तेरे ख्वाबों की ताबीर बनी
ना मैं तेरी चाहत की तस्वीर बनी
ना मुहब्बत का कोई भरम ही रहा
जाते-जाते तुमने कुछ भी न कहा
मैं तो बेवजह सी थी मेरा क्या
हर वजह से आजाद किया होगा मुझे

हिचकियाँ आयीं तो दिल को लगा
तुमने क्यों याद किया होगा मुझे

अपने गीतों में सजा कर रखा तुझको
अपनी नज्मों में लिपटा कर रखा तुझको
तेरी खातिर लफ़्ज़ों के मोती लुटाते रहे
बड़े सस्ते में हम खुद को गँवाते रहे
ये इल्ज़ाम भी दूँ तो अब कैसे तुमको
कि तुमने ही बर्बाद किया होगा मुझे

हिचकियाँ आयीं तो दिल को लगा
तुमने क्यों याद किया होगा मुझे

इश्क़ में मिले जो दिल के छाले देखो
पड़ जायेंगे अब लबों पे ताले देखो
कोई अल्फ़ाज़ फिर टूट के न रोयेंगे
हम हर दर्द बड़ी खामोशी से ढोयेंगे
किसी को हक़ नही था सिवा तेरे
तुमने ही नाशाद किया होगा मुझे

हिचकियाँ आयीं तो दिल को लगा
तुमने क्यों याद किया होगा मुझे

रूची शाही