न जाने क्यों: ममता शर्मा

न जाने क्यों!
आज इन बहारों में उल्लास नहीं हैं
न जाने क्यों!
आज कोयल की मधुर आवाज़ सुनाई नहीं देती
न जाने क्यों!
आज फूलों के खिलने की आहट सुनाई नहीं देती

न जाने क्यों!
आज ये कमबख़्त बादल बरसता नहीं
न जाने क्यों!
आज हर कोई अंजान सा लगता हैं
न जाने क्यों!
आज ये घर विरान सा लगता हैं

न जाने क्यों!
आज हर चीज की कमी हैं
न जाने क्यों!
आज आँखों में नमी हैं
न जाने क्यों
न जाने क्यों

ममता शर्मा
पीजीजीसीजी-42
चंडीगढ