सोलह श्रृंगार कर, ईश्वर को यादकर
माँगू लम्बी उम्र, खुशहाली
प्यार और साथ की दुआ,
हर साल चाँद का दीदार कर।
नहीं चाहिए कोई कीमती तोहफा,
ना ही कोई शान-ओ-शौकत
तुम बस इतना करना मेरे लिए,
कि बन जाना मेरी ताकत।
तुम बन जाना मेरी ढाल,
जब भी पड़ूँ मैं कमज़ोर
तुम बन जाना मेरी मुस्कान,
जब भी कोई उंगली उठे मेरी ओर।
समझ लेना मेरे मन की बात,
जब भी उदास हो मन का मोर
तब भी जब ज़बान नहीं,
बोलें इन पलकों के कोर।
तुम बस इतना कर देना मेरे लिए,
छा जाएगा सुख चहुँओर।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश