Thursday, December 19, 2024
Homeसाहित्यआघात: जयलाल कलेत

आघात: जयलाल कलेत

वो था निकला देने सौगात यारों
दिल पर लगा दिया आघात यारों
घर-बार हो गया है तबाह यारों,
ज़र्रे-ज़र्रे हो गए है बर्बाद यारों

हम धोखे खा रहें हैं, हर बार यारों,
भूल जाना तुम पुरानी यादगार यारों
हम है बहुत ही दिलदार यारों
इनकी अब नहीं कोई दरकार यारों

हमने दिया है कितना इसे प्यार यारों
तोड़ दिया है इसने हर करार यारों
ऐसे तो है हमारा ये संसार यारों
अब हम भी गए हैं, इनसे हार यारों

याद है न वादों का वो बौछार यारों
आज वादों से कर रहा इंकार यारों
अब उम्मीदें हो गई हैं, बेकार यारों
यहीं तो है आज का ये संसार यारों

जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़

संबंधित समाचार

ताजा खबर