सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
जीवन क्या है? यदि देखें तो
सुख-दुखों की माला है
कभी हैं रातें अमावस की
कभी पूर्णमासी का उजाला है
इसका गणित समझ पाना
इतना आसान नहीं होता है
इसके आदि, मध्य और अंत का
पूर्व संज्ञान भी तो नहीं होता है
जितना भी फेर में पड़ते इसके
उतना ही ये उलझाता है
ताज़्जुब! सिवाय अपने यह
सारे सवाल फिर सुलझाता है
हर शख्स यहां वैसे तो इसे
जीने के बहाने तलाशता है
चुराकर वक्त से आंखें बस
आगे निकलना चाहता है
टूटते, अधूरे, बिखरे हुए उन
सपनों को फिर से सजाता है
उधेड़बुन में इनकी कभी रोता
तो कभी पग़ला मुस्कुराता है
इसका एक-एक पल सभी के
हिस्से में बराबर ही आता है
और इस एक पल में ही दोस्तों!
यह जीवन देखिए घट जाता है
कुछ इस तरह इस जीवन की
माला ऐसे ही गुंथा करती है
कभी संवरती है सुखों सी तो,
कभी दुखों सी बिखरा करती है