कम-ज्यादा: जसवीर त्यागी

उसके पास नब्बे रूपये थे
दस रूपये की चाह थी उसे
ताकि पूरे हो जायें सौ रूपये

दूसरे के पास नब्बे हज़ार  थे
उसे दस हज़ार की दरकार थी
एक लाख बनाने में

जिसके पास कम था
उसकी इच्छा थी छोटी

जिसके पास था ज्यादा
उसकी तड़प भी
परछाई की तरह
मूल से कई गुना लम्बी थी

जसवीर त्यागी
नई दिल्ली