स्त्री
तुम्हारी स्तुति के पहले
वे सब के सब तुम्हें
अपने हिसाब से तराशेंगे
ढालेंगे, छाटेंगे
और जरूरत पड़ी तो काटेंगे भी
बस स्तुति भर ही तुम हो इस फिजा में
अपनी शक्ति, खूबसूरती और गरिमा के साथ
बस कुल जमा नौ दिन ही मिलते हैं तुम्हें
हर्षोल्लास के दसवें दिन तो यही लोग
तुम्हें बहती नदी में स्वाहा कर देंगे
और सबसे मजे की बात भी आज सुन ही लो
हर साल यही सब दोहराया जाएगा
साल दर साल
तुम्हारी हालत में बिना कोई बदलाव किए
पितृसत्ता के मायने
स्नेहा किरण
कवयित्री व सामाजिक कार्यकर्ता
अररिया, बिहार