डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर राजस्थान
जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर जन की ह्रदय प्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हिंदुस्तानी हम है तो हिंदी का मान बढ़ाएं
हिंदी भाषी लोगों से हम कभी नहीं कतराएं।
अहसास गर्व का करवाती हिंदी भाषा ही अपनी
हर मन के भाव समझाती हिंदी भाषा ही अपनी
जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
घर परिवार समाज को बांधे एक सूत्र में हिंदी
सारेगामा सात सुरों को साजे ताल में हिंदी
संस्कारों को चिन्हित करती हिंदी भाषा ही अपनी
मनमोहक चित्रण भी करती हिंदी भाषा ही अपनी
जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
मीरा, तुलसी के दोहे हिंदी भाषा में बने हैं
निर्गुण भाव कबीरा और वात्सल्य रसखान भरे हैं
गद्य पद्य दोहे सूक्ति मिल पुस्तक बन जाती हिंदी
नैतिक शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान में छाप छोड़ती हिंदी
जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
छंदबद्ध, मुक्त छंद काव्य सब हिंदी में रचे गए हैं
शोध ग्रंथ, पाठ्यक्रम पुस्तक सहज ही पढ़े गए हैं
जटिल तथ्य को सहज बनाती हिंदी भाषा ही अपनी
उमंग, खुशी की लहर जगाती हिंदी भाषा ही अपनी
जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी
हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी