डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
जो इंसान झुकता है, विनम्रता के साथ,
दुनिया उसे उठाती है, देती है उसे सौगात।
झुकना कमजोरी नहीं, है ये शक्ति का प्रमाण,
विनम्रता में ही छिपा है, असली बल का गान।
जो झुकता है समय पर, वो पाता है सम्मान,
यही तो होती है सच्चे और अच्छे की पहचान।
कभी ना झुकने वाला, अहंकार में डूबा रहता,
दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है, चाहे वो कितना भी आगे बढ़ता।
अहंकार का भार, उसे नीचे खींच लेता है,
उसकी कड़ी मेहनत को, भी व्यर्थ बना देता है।
झुकने में जो पा लेता है, खुद को जानने का ज्ञान,
दुनिया उसकी राह में, बिछा देती है सम्मान।
जो न झुके, वो टूट जाए, वक़्त की मार से,
दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है, उसकी अपनी ही हार से।
सच्ची सफलता वही है, जो झुक कर पाई जाए,
विनम्रता के पथ पर चलकर, ऊँचाइयों को छू जाए।
सीखो मित्रो झुकने की कला, ये कमजोरी नहीं है,
झुक कर ही दुनिया में पाते, जीत की असली खुशी है।