ज़रूरी नहीं कि हर वक्त यूं ही
मेहरबान रहे यह ज़िन्दगी दोस्तों! क्योंकि
बीते हुए खूबसूरत लम्हें
कभी भी वापस नहीं आते हैं
ये वो हैं जो हमें
ज़िन्दगी जीने के तजुर्बे सिखाते हैं
हर लम्हा रोज संवरते और निखरते हैं हम
पेडों की शाख से फूल सा,
टूटकर बिखरते हैं हम
मगर! हर लम्हा गुजरते वक्त को
खुशबू सा महकाते हैं
बीते हुए खूबसूरत लम्हें
माना दौलते-बचपन
अहद-ए-जवानी बन जाते हैं
बस हम उन चन्द लम्हों में
बदली कहानी बन जाते हैं
मगर इनकी खातिर ही
अपने आज को भूल जाते हैं,
बीते हुए खूबसूरत लम्हें
यूं तो साफ जज़्बातों के हवाले से हैं हम,
अनकहे अनसुलझे कई सवालों में हैं हम
गुजर गए जो खुशनुमा पल
वो एक सदी सी बन जाते हैं,
माना खूबसूरत लम्हें
चुभते हैं कभी सीने में ये कांटा बनकर
और कभी जेठ की तपिश सा जलाते हैं
सावन कभी फाल्गुन सा सुख देकर
दामन खुशियों से भर जाते हैं
बीते हुए खूबसूरत लम्हें
सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश