मजदूरों की याद में: दीपा सिंह

आपको पता है
आज क्या है
आज है मजदूर दिवस
यह मजदूरों की याद में
हर साल मनाया जाता है

वो मजदूर ही क्या
जो हर जुर्म ना सहे
उससे पूछो भूख क्या होती है
उससे पूछो जख्म क्या होता है
खुद तो झोपड़ियों में रहते हैं
पर हमारे लिए आलिशान
बंगला बना देते हैं

अपने परिवार का पेट पालने के लिए
दिन-रात मेहनत करते हैं वो
कभी धूप तो कभी ठंड में पिसते हैं वो
दो वक़्त की रोटी के लिए
दर-बदर भटकते हैं वो
अपने परिवार से दूर रहकर 
हर जुर्म सहते हैं वो

कुछ कहे बिना ही हर 
काम कर देते हैं वो
हाथ में हथौड़ी-छेनी लिए
पत्थर को तराशते हैं वो
उससे पूछो दुःख क्या होता हैं
जो हर दुःख को गले लगा लेते हैं
अपने लिए नहीं अपने 
परिवार के लिए जीते हैं वो

फिर भी लोग उसकी इज़्ज़त नहीं करते
उसे भला बुरा कहते हैं
उसे निम्न वर्ग का समझते हैं
वो भी तो एक इंसान है
फिर क्यों उसके साथ
ऐसा भेदभाव होता है

दीपा सिंह
चण्डीगढ़