आत्महत्या: वंदना मिश्रा

प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर-231001

तुम्हारे समाज में
आत्महत्या को बस
शरीर का अंत माना जाता है

पर सबसे पहले मरती हैं
भावनाएं, विचार, तर्क,
सपने और कल्पनाएं
और जब शरीर का
कोई अर्थ नहीं रह जाता तो

किसी दिन इन तमाम
मृतक वस्तुओं के संपर्क के कारण
शरीर भी मर जाता है