बारात अपनी: संजय अश्क

संजय अश्क
पुलपुट्टा, बालाघाट

कह दो जो दिल मे है बात अपनी
शायद ये है आखरी मुलाकात अपनी।

अभी तो रोशन है जिन्दगानी मग़र
क्या पता कब हो जाये रात अपनी?

ये फैसला किस्मत को ही कबूल ना था
तमन्ना तो थी शादी हो तेरे साथ अपनी।

संजय,लाश नाचते गाते लेकर चलना
वो जनाजा नही, होगी बारात अपनी।