जब होता है प्रेम में मन: सुप्रिया मिश्रा

अधिवक्ता सुप्रिया मिश्रा
अकबरपुर, अम्बेडकर नगर,
उत्तर प्रदेश

जब होता है प्रेम में मन
याद कर किसी पुरानी होली के रंगीन पल
स्मित मुस्कान के साथ
रंग लेता गुलाल से
खुद ही अपने गाल

जब होता है प्रेम में मन
देख धुधंली सी तस्वीर
किसी पुरानी एल्बम से
गुनगुनाने लगता कोई
भूली बिसरी फिल्मी धुन

जब होता है प्रेम में मन
व्यथित सा खोजता
ड्राल में रखी इक पुरानी उपन्यास
उलटता पलटता बेचैन सा
ढूढ़ता है कुछ खास पन्ने

जब होता है प्रेम में मन
सूखे आँसुओं को धीरे धीरे पिघलाता
लिखता मिटाता किसी कोरे कागज पे
एक पुराना नंबर

जब होता है प्रेम में मन
मूँदी पलकों के अंदर
टहलता एक बीता हुआ पल
हाथ मिला लेखनी से
लिखवाता एक सुन्दर सी कविता
पाने के लिये शाबाशी