विज्ञापन: वंदना मिश्रा

प्रोफेसर वंदना मिश्रा
हिन्दी विभाग
GD बिनानी कॉलेज
मिर्ज़ापुर-231001

बिल्कुल सही कहा तुमने
इसी साबुन से सौंदर्य निखरेगा
बाल लंबे घने चिकने होंगे
इसी शैंपू से

इन्हीं जूतों को पहनने से
दौड़ में प्रथम आएगा बबलू
पिंकी इसी पेन से लिख कर
सबसे पहले इस जमा करेगी कॉपी

कोई संशय नहीं मुझे कि
इसी चाय को पीकर
सारे झगड़े खत्म हो जाएंगे
इसी बिंदी के लगाने से भटका पति
रास्ते पर आ जाएगा
इसी दन्त मंजन से दाँत बने रहेंगे
चमकीले मज़बूत ,पास आएगी
हर लड़की सब को छोड़कर
इसी गाड़ी के कारण मिलेगा
राष्ट्रपति पुरस्कार

मैंने कब संदेह किया विज्ञापन दाताओं!
तुम्हारी मंशा और तुम्हारे उत्पादनों के महत्व पर
पर बताओ तो कहाँ से लाऊं
मैं वह ज़ेब जो लेकर बाज़ार
जाने पर ला सकूँ यह सब कुछ
बिना मुन्ने के मुँह का दूध छीने

जबकि वह भी जिद करता हो
विशेष डेयरी का दूध लाने के लिए
ममत्व तक पर
बाज़ार की मुहर लग गई है
ऐसे में कैसे सिद्ध होऊँ
दूसरों की माँ से अच्छी माँ
अपनी संतानों के लिए
बिना पैसे और
विज्ञापित होने की
सही शैली के बिना