सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
चलो आज सुबह से कुछ
उजाले चुराकर लाते हैं
कदमों तले चलो आज
आसमान बिछाते हैं
वो शाम आते ही अम्बर में
सूरज देखो ढल रहा है
कहीं डर न जाएं वो,
जिन्हें सिर्फ उजाले भाते हैं
आओ चलो अंगना में
फिर से लालटेन जलाते हैं
कलियां तो जरुर खिलेंगी
खुशियों की मन में यूं तो
आएगा जब निराशा के बाद
आशा का मंजर भी तो
चलो इसी उम्मीद की
सौगात, सभी को दिलाते हैं
माना कि ख़्वाब थोड़े से,
बिखर गए कहीं हमीं से हैं
कर उजास ख़ुद की राह में,
वो ख़्वाब तलाश लाते हैं