सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
मौन को मत समझो तुम कि चुप रहता है
चुप रहकर भी तो यह बहुत कुछ कहता है
यूं तो इसकी अपनी कोई भाषा नहीं होती
समझा सकूं जो, कोई परिभाषा नहीं होती
मौन सा तो मेरे दोस्तों कोई संवाद नहीं होता
और होने से इसके कोई विवाद नहीं होता
कहने को कभी-कभी तलवार सा लगता है
अपनी पर आए तो सुविचार यही लगता है
कभी है इकरार तो कभी इनकार भी यही है
है कभी तकरार तो कभी प्यार भी यही है
इससे भला कौन जीता इसकी शक्ति अपार है
अक्सर बदल जाते हैं शब्द पल भर में
एक मौन ही है जो सदाबहार है
समझो तो इसी में छुपा समस्त जीवन सार है