सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
किसी के दर्द में जब जब कोई पलकें बिछाकर रोया
सच मानों ये आसमान भी तब सर को झुकाकर रोया।
धुआँ धुआँ सा था ये दिल जाने! ये चोट कैसी लगी
अक्सर वो अँधेरा भी यादों की शम्मा जलाकर रोया।
वो एक जिनके होने से रंगीन थी महफ़िलें सारी
खिजां को आज वो ख़ुद ही गले अपने लगाकर रोया।
किये हैं यूं तो क़ई वायदे जिसने वफ़ा ए मुहब्बत के
आया जब भी कोई ज़िक्र, वही चेहरा छुपाकर रोया।
न मिल सकी जब उसकी ही वो ‘तमन्ना’ ए वफ़ा
पहनकर अपने ही साए को आज यूं बेइंतिहां रोया।
सिला वफ़ाओं का किसी की ऐसे भी यूं ज़ाया न गया
मिला दर्द के बदले में जो दर्द,जाना क्या पाया खोया।