सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
कहते हैं अक्सर लोग हमें
जरा! बदलो हुज़ूर ख़ुद को,
इस ज़माने के हिसाब से
अब कैसे बताएं उन्हें कि
किसी भी हाल में नहीं जीना गवारा
हमें उनके हिसाब से,
कैसे निकाल फेंकू आख़िर
वो सभी पन्ने अपने उसूलों की
इस पाक साफ किताब से
जिसे आज तक मैंने पढ़ा है
इनके आगे रंग ए सबक फिर,
ज़हन में आज तलक कोई
दूजा भी तो न चढ़ा है
जो नहीं है हमें गवारा कहिए
उसे कैसे अपनाएं
इस आधुनिक दुनिया की,
सोच की इस छोटी सी चादर में
ख़ुद के उन उसूलों को कैसे
और कहां तलक हम छुपाएं
क्योंकि जानती हूं मैं
नहीं बदलना आता मुझे खुद को
आधुनिक दुनिया के हिसाब से
अब कैसे करूं दग़ा कहो मैं
अपने ही लिबास से
क्योंकि भेजा मुझे उस ख़ुदा ने
जहां में जिस लिबास में
एक दिन उसे लौटाना भी है
उसी के हिसाब से