नंदिता तनुजा
माँ पुकारा गया खूब
लेकिन
दिल मे माँ को उकेरा नहीं
शब्दों की कलाकारी
भावनाओं की साझेदारी
सब है माँ की चरणों में भेंट…
लेकिन
फिर भी क्यों लगता..
माँ को हमने कभी
दिल में उतारा नहीं….
युग बदल गया है..या
माँ का अर्थ…
माँ तो माँ ही रही
बच्चें अब वो रहे नहीं…
कि माँ है तो जीवन को मिला संज्ञान…!!