Sunday, June 15, 2025
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ऐ दर्द बस साथ तेरे: नंदिता तनुजा

नंदिता तनुजा

ज़ख्मों को न भरने देंगें
न वक्त से सौदा करेंगे
खुशियों के बाज़ार में
ख्वाहिशों की दुकान लगी
किस्मत से फिर दग़ा करेंगे

पल भर यहां खुशियां
औ साथ समंदर-ए-अश्क
तन्हा ख़यालों के घेरे में
जिंदगी सच से जुदा करेंगे
दुनिया में मतलब की बातें
वफाओं के झूठे वादे-इरादे
चाहत को रुसवा कर
दामन को दाग़दार करेंगे

चंद लम्हों के बदले क्या सोचना
ऐ दर्द बस साथ तेरे
बेपनाह सुकून, जिंदगी
आस मेंं विश्वास अपने
खामोशी से ज़िया करेंगे

खुरचते रहेंगे खुद ज़ख्मों को
सीख कभी न भूलेंगे
होठों पर मुस्कान लिए
हां फिर तुमसे शिकायत करेंगे

औरों सा तुम दग़ा न देना
दर्द के बदले वफ़ा ही करना
तिल-तिल अब नहीं मरना
साथ साज़ फिर आगाज
आईने में खुद के रुह से मिला करेंगे

जिस्म माटी का खिलौना
अहसासों मेंं दर्द है पिरोना
दिखाई देती वक्त की घड़ी
अपनो को देखा, सुना करेंगे

सारी उम्र खफ़ा रहे नंदिता की खुशी
सुन, ऐ दर्द तुमसे
बस अपनी सांसो से रुखसती करेंगे

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