नंदिता तनुजा
कोई पहले की तरह नही मिलता
सच कोई मुस्कुरा के नही देखता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह के इंसान नही मिलता
मिला के हाथ दे साथ नही मिलता
जो बन जाए खास साथ नही बनता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह के हाथ नही मिलता
आँखों से उतरे तस्वीर नही मिलता
ज़िन्दगी में कोई ताबीर नही बनता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह के एतबार नही मिलता
बिन बात दे आवाज़ नही मिलता
फिर अपनों से जज़्बात नही बनता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह आग़ाज़ नही मिलता
वक़्त के अंदाज़ में वक़्त नही मिलता
ज़िन्दगी में सांस भी अपना नही रहता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह कोई बेवक़्त नही मिलता
दोस्ती और इश्क़ में सबब नही मिलता
अहसास के रिश्तो का नाम नही होता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह रिश्ते को नाम नही मिलता
वजह बहुत जरूरी ख्याल नही मिलता
नंदिता लिखे क्या खास नही दिखता
साथ चलती रही वजह कोई हमेशा
बिन वजह ये कलम भी नही मिलता