नंदिता तनुजा
मतदान के लिए कभी
कुछ कहती नहीं…
मन का मत है..
जन का मत है…
अधिकार है मेरा..
कर्तव्य मेरा भी यही है..
मतदान देना भी सही है…
उसने पूछा
कि मतदान कब है
मैंने कहा..
जाना तय है..
देकर आऊँगी…
वो ध्यान से मुझे देखा..
बोला कि सुनों
किसे वोट करोगी..
मैं मुस्कुरा दी
तुम बोल दो
जिसे वही करूंगी…
बिना एक पल गवाएं
उन्होंने मेरे पक्ष का नाम
ले लिया..
मैंने कहा जवाब भी यही
जो तुमने दे दिया….
मैं उसके बिना
अधूरी हूँ..
लेकिन मन से
मैं भी तो जरुरी हूँ
हम दोनों दो पक्ष में
आते हैं…
लेकिन मतदान का
कर्तव्य दोनों निभाते हैं…
वो प्रेम मेरा…
मतदान एक आधार है…
देशहित मे आते हैं…
मतदान में भाग ले आते हैं
कि पक्ष कोई भी जीते, जनहित में
जनता हो और जीवन मे सरलता
लेकिन राजनीति परिचर्चा है…
कोई कितने से जीता..
क्या फ़र्क़ पड़ता…
बस समय की तूती देश में बोलता है..!!