प्रेमचंद बहुमुखी प्रतिभा के गुणी साहित्यकार थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावना, परिस्थितियाँ और उनकी समस्याओं का बखूबी मार्मिक चित्रण किया है। उनकी कृतियाँ देश के कोने-कोने में लोकप्रिय हुईं। वे भारतीय जीवन के जीवंत कलमकार के रूप में उभर के आए।
प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सेवा। उन्हें अपने जीवनकाल में ही उपन्यास सम्राट की उपाधि मिल गई थी। उन्होंने निर्मला, प्रेमाश्रय, कर्मभूमि, रंगभूमि, गबन, सेवासदन, गोदान आदि उपन्यास लिखे।
प्रमुख रूप से प्रेमचंद एक कहानीकार थे। पंच परमेश्वर, बड़े भाईसाहब, नमक का दारोगा, कफ़न, परीक्षा, शतरंज के खिलाड़ी, मंत्र, पूस की रात, ईदगाह आदि प्रेमचंद की 300 कहानियों में से प्रसिद्ध कहानियाँ हैं, जो उन्होंने कपनी 24 कहानी संग्रहों में प्रकाशित की हैं।
प्रेमचंद मुख्यत: कहानीकार के रूप में अपने जीवन में सर्वाधिक लोकप्रिय रहे जिसके लिए उन्हें कथासम्राट की पदवी मिली। और आज साहित्य जगत में प्रेमचंद कथासम्राट के नाम से विख्यात हैं।
प्रेमचंद एक महान लेखक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार सम्पादक और संवेदनशील रचनाकार थे। पुराने समय में जब हिन्दी मे काम करने की तकनीकी सुविधाएं नहीं थी तब भी पूरी लगन और निष्ठा से हिन्दी साहित्य की सेवा में इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवाय दूसरा कोई नहीं हुआ।
न सिर्फ हमारे देश में बल्कि देश से बाहर भी प्रेमचंद के साहित्य पर शोध कार्य सम्पन्न हुए। अतः न केवल हिन्दी साहित्य में वरन विश्व साहित्य में प्रेमचंद का विशेष स्थान है। साहित्य जगत के अनमोल रतन महान साहित्यकार व आधुनिक हिन्दी के पितामह के रूप में मुंशी प्रेमचंद का नाम सदैव अमर रहेगा।
अतुल पाठक ‘धैर्य’
हाथरस, उत्तर प्रदेश