अनामिका गुप्ता
इसके आगे झुकती सब दुनिया
हर कोई करता सलाम है
सारी दुनिया इसकी मुट्ठी में
अजी पैसा इसका नाम है
कहीं पेटी है
कहीं खोका है
हां…..
बस नजरों का धोखा है
कहीं रुला दे
कहीं हंसा दे
कहीं तोड़ दे रिश्ते नाते
कहीं पर बिगड़ी बात बना दे
ना टिकता है ना रूकता है
बस चलता ही रहता है
फिर भी ना जाने क्यों
इंसां भागता इसके पीछे रहता है
अंधा, बहरा करता है
कत्ल इंसानियत का करता है
फिर भी समझ नहीं पाती क्यूं “अरु”
इस माया की माया में बंदा
दिन रात क्यूं उलझा रहता है