मनमोहक वसंत आया है
फूल खिले हैं उपवन-उपवन
नवल प्रकृति की सुषमा न्यारी
महक रही है क्यारी-क्यारी
बीत गई है ऋतु पतझड़ की
बजे हवा की पायल छन-छन
अमराई में कोकिल बोले
कानों में मधुरस-सा घोले
रंगबिरंगी उड़ें तितलियाँ
चंचल भौंरे करते गायन।
नन्हीं कलियों-सा मुस्काएँ
सदा सुहाने स्वप्न सजाएँ
जाग उठी हैं नयी उमंगें
मुदित हुआ आशामय जीवन
गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश-226022
संपर्क-09956087585