तुम जिन्दगी में बिल्कुल ऐसे आए
जैसे आता है देश में चुनाव,
खोखले वादे जैसे थे नेता जी के,
बिल्कुल वैसा ही था तेरा झूठा प्यार,
मेरे गांव की टूटी सड़कों की तरह
टूटा गए मेरे मन के तार
सूखी हुई नहरो जैसे ही
सूखा गया मेरा तन भी यार,
शुरू–शुरू का एहसास था ऐसा
जैसे पिटता हो कोई चुनावी डंका
रूत बीती, रैना बीती,
रह गई में हक्का–बक्का,
तेरी चिकनी-चुपटी बातों में आकर
सजा लिया था मैंने
घरौंदा आपना, जैसे देश की जनता ने
देखा था अच्छे दिन का सपना
आँखों से पट्टी उतरी तो
देखा वही बेहाल मोहल्ला
स्कूल की पड़ी खाली जमीन सा
रह गया खाली दिल मेरा
प्रियंका गुप्ता
नई दिल्ली